Swati Sharma

Add To collaction

लेखनी कहानी -07-Nov-2022 हमारी शुभकामनाएं (भाग -13)

हमारी शुभकामनाएं:-

धनतेरस:-

              कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
             शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस तिथि को भगवान धन्वंतरि समुद्र से निकले, वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। भगवान धन्वंतरि समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का अंश माना जाता है और इन्होंने ही पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया।

धनतेरस की पौराणिक कथा:-
              एकबार मृत्यु के देवता यमराज ने यमदूतों से प्रश्न किया कि क्या कभी मनुष्य के प्राण लेने में तुमको कभी किसी पर दया आती है। यमदूतों ने कहा कि नहीं महाराज, हम तो केवल आपके दिए हुए निर्देषों का पालन करते हैं। फिर यमराज ने कहा कि बेझिझक होकर बताओं कि क्या कभी मनुष्य के प्राण लेने में दया आई है। तब एक यमदूत ने कहा कि एकबार ऐसी घटना हुई है, जिसको देखकर हृदय पसीज गया। एक दिन हंस नाम का राजा शिकार पर गया था और वह जंगल के रास्ते में भटक गया था और भटकते-भटकते दूसरे राजा की सीमा पर चला गया। वहां एक हेमा नाम का शासक था, उसने पड़ोस के राजा का आदर-सत्कार किया। उसी दिन राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म भी दिया।
              ज्योतिषों ने ग्रह-नक्षत्र के आधार पर बताया कि इस बालक की विवाह के चार दिन बाद ही मृत्यु हो जाएगी। तब राजा ने आदेश दिया कि इस बालक को यमुना तट पर एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखा जाए और स्त्रियों की परछाईं भी वहां तक नहीं पहुंचनी चाहिए। लेकिन विधि के विधान को कुछ और ही मंजूर था। संयोगवश राजा हंस की पुत्री यमुना तट पर चली गई और वहां राजा के पुत्र को देखा। दोनों ने गन्धर्व विवाह कर लिया। विवाह के चार दिन बाद ही राजा के पुत्र की मृत्यु हो गई। तब यमदूत ने कहा कि उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर हृदय पसीज गया था। सारी बातें सुनकर यमराज ने कहा कि क्या करें, यह तो विधि का विधान है और मर्यादा में रहते हुए यह काम करना पड़ेगा।
               यमदूतों ने पूछा कि ऐसा कोई उपाय है, जिससे अकाल मृत्यु से बचा जा सके। तब यमराज ने
 कहा कि धनतेरस के दिन विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना और दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती। इसी घटना की वजह से धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और दीपदान किया जाता है।
                        यह सब कथा भूमिका को उसकी मां ने उसके पूछने पर सुनाई। तभी अचानक उसका फ़ोन बज गया उसने फ़ोन उठाया तो पता चला कि जो तीन महीने की उसकी सैलरी रुकी हुई थी वह उसे मिलने वाली है, साथ ही में उसकी तरक्की भी उसकी \\'ड्रीम पोस्ट\\' पर होने वाली है। वह बहुत खुश हुई, मां को यह बात बताने ही जा रही थी कि इतने में। फिर से फोन की घंटी बजी उसने फोन उठाया तो पता चला उसके \\'साइड बिजनेस\\' में भी उसे काफ़ी मुनाफा हुआ है।
                   वह दौड़कर मां पिताजी के पास गई और उन्हें यह खबरें सुनाई। सब लोग यह खबर सुनकर बेहद खुश हुए एवम भगवान धनवंतरी को हृदय से आभार व्यक्त किया। इसके पश्चात् भूमिका खरीददारी करने बाज़ार चली गई और सबके लिए कुछ ना कुछ उपहार लेकर आई।

#30 days फेस्टिवल / रिचुअल कम्पटीशन

   16
10 Comments

Gunjan Kamal

18-Nov-2022 09:41 AM

बहुत ही सुन्दर

Reply

Swati Sharma

18-Nov-2022 09:19 PM

आपका हार्दिक आभार

Reply

Rafael Swann

15-Nov-2022 12:00 AM

Aapki lekhan shaily va shabdon ka chunav behtreen hai.... Aap likhna zari rakhen👌👏🌸🙏

Reply

Swati Sharma

15-Nov-2022 09:06 AM

आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन

Reply

Supriya Pathak

12-Nov-2022 12:44 PM

Bahut sundar

Reply

Swati Sharma

12-Nov-2022 04:17 PM

Thank you

Reply